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RGPVDiplomaLinux: Unit 1


LINUX UNIT 1
 
Q 1 लिनक्स की शुरूआत कब हुई ? समझाइए |
Ans. लिनक्स की शुरुआत 1990 में हुई थी |
लिनक्स को लिनस तोरवेल्ड्स ने बनाया था |
उन्होंने 5 अक्टूबर सन 1991 को लिनक्स का पहला वर्जन रिलीज किया था |
इसके बाद लिनक्स को डेवलप करने  में कैलिफोर्निया के ट्रांसमेंटा में स्थित हेलसिंक यूनिवर्सिटी एवं फिनिश विश्वविद्यालय के छात्रों ने भी सहयोग किया |
मार्च 1992 में १.० कर्नल का लिनक्स मार्केट में आया |
इसे सिस्टम पर चलाने के लिए यूनिक्स की जानकारी आवश्यक थी |
सन 1996 में लिनक्स २.०  मार्केट में आया जिसमें कइ और नए फंक्शन उपस्थित थे |
सन 1999 में लिनक्स २.२  मार्केट में आया |
सन 2001 में लिनक्स का जो वर्जन आया वह अब तक सभी वर्जनों की तुलना में काफी आसान था, यह दर्जनों प्रोसेसरों को  सपोर्ट करता था | इसके अलावा usb और प्लग  एंड प्ले हार्डवेयर भी सपोर्ट करता था |
आज लिनक्स से संबंधित समस्त सॉफ्टवेयर GNU जनरल पब्लिक लाइसेंस के तहत डिस्ट्रीब्यूट है इसका मतलब यह है कि सोर्स कोड से लेकर लगभग सभी सॉफ्टवेयर आसानी से प्राप्त किए जा सकते हैं |
यह इंटरनेट पर निशुल्क उपलब्ध है |
लिनक्स एक निशुल्क ऑपरेटिंग सिस्टम है |
लिनक्स के सोर्स कोड को इंडिपेंडेंट रूप से संशोधित किया जा सकता है तथा अपनी आवश्यकता अनुसार बनाया जा सकता है |
 

Q २. लिनक्स की विशेषताएं लिखिए ?
OR
लिनक्स क्या है ? लिनक्स के लाभ संक्षेप में समझाइए ?
OR
लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है ? लिनक्स की विभिन्न विशेषताएं समझाइए?
OR
लिनक्स की विभिन्न विशेषताएं क्या है ?
OR


Ans. लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम का केंद्र बिंदु या कोर है | लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम एवं इसके विभिन्न  सॉफ्टवेयर का कलेक्शन लिनक्स डिस्ट्रीब्यूशन के नाम से जाना जाता है | लिनक्स  डिस्ट्रीब्यूशन एक पैकेज के रूप में पाया जाता है | एक पैकेज लिनक्स के सभी सॉफ्टवेयर का कलेक्शन होता है |


लिनक्स के लाभ :-
  1. यह एक फ्री उपलब्ध सॉफ्टवेयर हे |
  2. यह एक रियल ऑपरेटिंग सिस्टम हे |
  3. यह किसी भी कंप्यूटर के लिए उपयोग में लाया जा सकता है |
  4. इस ऑपरेटिंग सिस्टम को फ्लॉपी डिस्क द्वारा भी रन किया जा सकता है |
  5. यह एक कंप्लीट मल्टीटास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम है |
  6. लिनक्स हार्ड डिक्स को वर्चुअल मेमोरी की तरह उपयोग में लाता है जो कंप्यूटर की कार्य क्षमता को बढ़ाने में सहायक है |
  7. लिनक्स के वर्जन सभी हार्डवेयर डिवाइसेस को सपोर्ट करते हैं |
  8. लिनक्स में ग्राफिकल यूज़र इंटरफेस की विशेषता होती है |
  9. लिनक्स सोर्स कोड फ्री उपलब्ध है |
  10. लिनक्स में GNU प्रोजेक्ट के द्वारा विभिन्न फ्री सॉफ्टवेयर उपलब्ध है
लिनक्स की विशेषताएं :-


(i) पोर्टिबिलिटी –
लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम एक हाई लेवल लैंग्वेज में लिखा गया है,  इस कारण, इसकी कार्यप्रणाली कंप्यूटर के स्ट्रक्चर पर निर्भर नहीं करती| इसी वजह से पूरे ऑपरेटिंग सिस्टम को किसी अन्य सिस्टम पर ट्रांसफर करके उपयोग किया जा सकता है |


(ii) ओपन सिस्टम –
ओपन सिस्टम में कोई भी टूल किट बिना किसी परेशानीके ऐड की जा सकती है |इसी तरह नए डिवाइस भी आसानी से ऐड किए जा सकते हैं |


(iii) प्रोग्रामिंग फेसिलिटी –
लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम प्रोग्रामिंग के लिए बहुत ही अनुकूल है | प्रोग्रामिंग के लिए आवश्यक सभी टूल्स, जैसे- कंट्रोल स्ट्रक्चर, लूप, वेरिएबल आदि इसमें उपलब्ध है |


(iv) मल्टी यूजर सिस्टम –
लिनक्स एक मल्टी यूजर सिस्टम है, जिसका अर्थ यह है कि एक से अधिक यूज़र एक साथ कइ कंप्यूटर पर कार्य कर सकते हैं|


(v) मल्टी टास्किंग सिस्टम –
मल्टीटास्किंग का अर्थ है कि एक यूजर एक बार में एक से अधिक कार्य कर सकता है |


(vi) टूल किट –
लिनक्स टूल्स का एक कलेक्शन है, जिसके द्वारा प्रोग्रामिंग का कार्य आसानी से किया जा सकता है | इनके द्वारा कई छोटे छोटे कार्य जैसे- फाइलों को कॉपी करना, डाटा बेस मैनेज आदि भी किए जा सकते हैं |


(vi) ऑनलाइन हेल्प –
लिनक्स के अंतर्गत man कमांड उपलब्ध है जिसके साथ कोई भी कमांड लिखकर उस कमांड के बारे में इनफार्मेशन प्राप्त की जा सकती है |

 

Q 3 ओपन सोर्स से आप क्या समझते हैं? ओपन सोर्स टेक्नोलॉजी को उपयोग करने के क्या लाभ है? बताइए |


Ans. ओपन सोर्स का मतलब ऐसे ऑपरेटिंग सिस्टम से है जिसका सोर्स कोड फ्री उपलब्ध होता है तथा जिसमें इंडिपेंडेंट रूप से बदलाव किए जा सकते हैं एवं अपनी आवश्यकता के अनुरुप बनाया भी जा सकता है |
ओपन सॉफ्टवेयर होने का एक महत्वपूर्ण लाभ यह भी है कि कर्नल के द्वारा एक्सटेंशन तथा ड्राईवर्स को जरूरत के अनुसार लिखा जा सकता है |
ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर की एक और विशेषता यह है कि इसमें सॉफ्टवेयर का परीक्षण करने तथा इस को बेहतर बनाने की प्रक्रिया तेज तथा बेहतर होती है |
ओपन सोर्स टेक्नोलॉजी को उपयोग करने के निम्नलिखित लाभ है :

  1. नई टूलकिट बिना किसी प्रॉब्लम के ऐड की जा सकती है
  2. नई डिवाइस आसानी से ऐड की जा सकती है
  3. ड्राइवर जरुरत के अनुसार लिख सकते हैं




Q 4. कर्नल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए |
OR
लिनक्स सिस्टम की मूलभूत संरचना को संक्षिप्त में समझाइए |
OR
लिनक्स आर्किटेक्चर का डायग्राम बनाइए |
OR
कर्नल क्या है? समझाइए |
OR
लिनक्स आर्किटेक्चर पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए |
OR
लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम के आर्किटेक्चर को समझाइए | लिनक्स के फायदे बताइए |
OR
लिनक्स के लेयर्ड आर्किटेक्चर को समझाइए |
OR
लिनक्स कर्नल को समझाइए |
Ans. लिनक्स के फायदे : प्रश्न ०२ देखिये |


लिनक्स आर्किटेक्चर :-


लिनक्स का आर्किटेक्चर एक लेयर्ड आर्किटेक्चर होता है, इसे चित्र में दर्शाया गया है –


(i) हार्डवेयर –
लिनक्स स्ट्रक्चर में फर्स्ट लेयर हार्डवेयर की होती हे |सिस्टम में कनेक्टेड सभी हार्डवेयर इस लेयर के अन्तर्गत आते हे |


(ii) कर्नल –
कर्नल, लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम का कोर प्रोग्राम होता हे, जो कंप्यूटर हार्डवेयर के कंपोनेंट्स को कण्ट्रोल करता हे, जिनका उपयोग यूजर करते हे | हार्डवेयर के ड्राईवर्स को रन करने की प्रोसेस को कम्पलीट करता हे तथा यह हार्डवेयर को उपयोग करने लायक बनाता  हे, | ऑपरेटिंग सिस्टम के द्वारा की गई हार्डवेयर रिक्वेस्ट सीधे हार्डवेयर के पास नही जाती हे | यह रिक्वेस्ट कर्नल के माध्यम से हार्डवेयर के पास पहुचती हे | तथा हार्डवेयर कर्नल के माध्यम से इस रिक्वेस्ट को ऑपरेटिंग सिस्टम को पहुचाता हे |


(Iii) डिवाइस ड्राइवर-
कंप्यूटर से जुडी  डिवाइस (हार्डवेयर) को इंटरफ़ेस प्रदान करने वाले प्रोग्राम को डिवाइस ड्राइवर्स कहते हैं |


(iv) शैल –
शैल कमांड इंटरप्रेटर की तरह कार्य करता है| लिनक्स में यूजर द्वारा बनाए गए प्रोग्राम को शैल प्रोग्राम या शैल स्क्रिप्ट कहते हैं |
शैल प्रोग्राम को मशीन लैंग्वेज में इंटरप्रीत करने के लिए शैल, इंटरप्रिंटर की तरह कार्य करता है |
शैल इंटरप्रिंटर सीधे हार्डवेयर से इंटरएक्ट नहीं करता है बल्कि यह कर्नल के माध्यम से कंप्यूटर कंपोनेंट्स के साथ इंटरएक्ट करता है |


(v) सिस्टम कॉल लाइब्रेरी-
सिस्टम कॉल लाइब्रेरी प्रोसेस और ऑपरेटिंग सिस्टम के बीच आवश्यक इंटरफेस प्रदान करती है


(vi) स्टैंडर्ड लाइब्रेरी –
स्टैंडर्ड लाइब्रेरी में कंपाइलर के लिए आवश्यक डेटा उपलब्ध होता है| विभिन्न कमांड तथा पोग्राम फाइलों को चलाने के लिए इनकी आवश्यकता होती है


(vii) यूजर एप्लीकेशन –

लिनक्स स्ट्रक्चर में सबसे बाहरी लेयर यूजर एप्लीकेशन की होती हे| यूजर एप्लीकेशन, एप्लीकेशन प्रोग्राम होते हैं, जिनमें यूज़र अपने प्रोग्राम बनाता है|




 Q 5. कर्नल के विभिन्न फंक्शन क्या है ?


Ans. कर्नल के विभिन्न फंक्शन मुख्यता निम्नलिखित है:-

(i) टाइम शेयरिंग प्रिएम्पटिव –

कर्नल का महत्वपूर्ण फंक्शन टाइम शेयरिंग होता है| टाइम शेयरिंग प्रिएम्पटिव मल्टी टास्किंग के लिए कंप्यूटर सिस्टम को अत्यधिक विश्वसनीयता प्रदान करता है| यह सिस्टम को एक्सटर्नल इवेंट, जैसे- इनकमिंग डेटा के साथ तुरंत ही डील करने की अनुमति देता है|
(ii) वर्चुअल मेमोरी-
वर्चुअल मेमोरी , मेमोरी मैनेजमेंट टेक्निक के समान होती है जो कि मल्टीटास्किंग कर्नल के लिए विकसित होती है| यह टेक्निक कंप्यूटर डाटा स्टोरेज के अनेक फॉर्म के आर्किटेक्चर को  वर्चुअलाइज़ करती है|
(iii) डिमांड पेजिंग –
कर्नल का उपयोग डिमांड पेजिंग में भी किया जाता है| सिस्टम में डिमांड पेजिंग का उपयोग ऑपरेटिंग सिस्टम के द्वारा फिजिकल मेमोरी में डिस्क पेज को कॉपी करने के लिए किया जाता है| डिस्क पेज को कॉपी तभी किया जाता है जब पेज फाल्ट कि एरर आती है|

(iv) मेमोरी मैनेजमेंट –
मेमोरी मैनेजमेंट कर्नल का महत्वपूर्ण फंक्शन होता है | मेमोरी मैनेजमेंट कंप्यूटर मेमोरी को मैनेज करता है |






Q 6 .लिनक्स के लिए आवश्यक हार्डवेयर एवम् सॉफ्टवेयर को लिखिए ?


Ans. लिनक्स एक मल्टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम है लिनक्स को इंस्टॉल करने के लिए आवश्यक हार्डवेयर औरसॉफ्टवेयर मुख्यतः निम्नलिखित है :-


(i) X86 प्रोसेसर –
कंप्यूटर में  लिनक्स को इंस्टॉल करने के लिए इंटेल कंपेटिबल CPU की आवश्यकता होती है| लिनक्स कोइंस्टॉल करने के लिए 80386 या इसके ऊपर कोई भी प्रोसेसर उपयोग में लाया जा सकता है |


(ii) फ्लॉपी डिस्क या CD रोम –
लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम को सिस्टम में इंस्टॉल करने के लिए कंप्यूटर में फ्लॉपी डिस्क या CD रोम का उपस्थित होना आवश्यक है| पहले लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम सॉफ्टवेयर फ्लॉपी में उपलब्ध रहता था इसलिए लिनक्स को इंस्टॉल करने के लिए फ्लॉपी डिस्क की आवश्यकता होती थी, लेकिन अब ज्यादातर सॉफ्टवेयर CD में ही उपलब्ध होते हैं इसलिए इसे इंस्टॉल करने के लिए CD रोम की आवश्यकता होती है|


(iii) हार्ड डिस्क –
लिनक्स को इंस्टॉल करने के लिए कंप्यूटर में एक हार्ड डिस्क की आवश्यकता होती है, जिस में कम से कम 350 MB स्पेस का फ्री होना आवश्यक होता है| हार्ड डिक्स में फ्री स्पेस की आवश्यकता इंस्टॉलेशन के टाइप तथा पैकेज पर निर्भर करती है| यदि वर्क स्टेशन को इंस्टॉल करना है तब कंप्यूटर की हार्ड डिक्स में 1.6 GB   का स्पेस होना चाहिए|


(iv) RAM –
यदि कंप्यूटर में Red Hat लिनक्स या Fedora लिनक्स के किसी वर्जन को इंस्टॉल करना है, तब इसके लिए कंप्यूटर में कम से कम 32 MB RAM की आवश्यकता होती है| तथा ग्राफिकल मोड में लिनक्स को चलाने केलिए कम से कम 64 MB RAM की आवश्यकता होती है


(v) बूटअप डिस्क –

बूटअप डिस्क का प्रयोग लिनक्स इंस्टॉलेशन के प्रोग्राम को चलाने से पहले सिस्टम को बूट करने के लिए करतेहैं| इसके लिए फ्लॉपी या CD में FDISK नेम की फाइल का होना आवश्यक होता है|




 
Q 7. लिनक्स को विस्तार से समझाइए ?लिनक्स के लाभ और उसके सिद्धांत को लिखिए |
OR
लिनक्स के सिद्धांत क्या है ?


Ans. लिनक्स – इसके लिए प्रश्न 02 का उत्तर देखे|
लिनक्स के लाभ – इसके लिए प्रश्न 02 का उत्तर देखे|


लिनक्स के सिद्धांत :-

  1. लिनक्स में सब कुछ फाइलों के रूप में होता है
  2. लिनक्स में सिंगल टास्क को परफॉर्म करने के लिए स्माल प्रोग्राम बनाये जाते है|
  3. लिनक्स में काम्प्लेक्स टास्क को परफॉर्म करने के लिए प्रोग्राम को मिलाकर एक चेनके रूप में जोड़ा जाता है|
  4. कॉन्फ़िगरेशन डाटा को text में स्टोर किया जाता है|
 


Q 8. लिनक्स के यूसेज और उसके बेसिक्स को विस्तार पूर्वक समझाइये |

Ans. लिनक्स के उपयोग और बेसिक निम्नलिखित है:-


(i) लिनक्स सिस्टम में लॉगिन –
लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग सिर्फ वही यूजर कर सकते हैं जिनका अकाउंट कंप्यूटर सिस्टम पर अलग से मैनेज किया जाता है | लिनक्स सिस्टम को ऑपरेट करने के लिए अकाउंट ओपन किया जाता है, जिसके द्वारा सिस्टम में प्रवेश कर सकते हैं |
कंप्यूटर पर लॉग इन करने के लिए यूजर नेम तथा पासवर्ड को कंप्यूटर में एंटर किया जाता है|

(ii) कंसोल मोड –
यदि कंप्यूटर स्क्रीन टेक्स्ट मोड पे दिख रही है तो इसका मतलब है की कंप्यूटर स्क्रीन कंसोल मोड पर है| जब कंप्यूटर कंसोल मोड में होता है तब, कंप्यूटर को  टेक्स्ट कमांड के द्वारा चलाया जाता है| कंसोल मोड में कंप्यूटर को चलाने के लिए विभन्न शैल को प्रयोग में लाया जाता है| बोर्न शैल का उपयोग अधिक होता है |

(iii) ग्राफिकल मोड़ –
ग्राफिकल मोड भी कंसोल मोड के समान ही होता है| ग्राफिकल मोड में टेक्स्ट कमांड के बजाय यूजर सीधे ग्राफ़िक एनवायरनमेंट से कंप्यूटर का उपयोग करता है| जैसे – आइकॉन ऑफ़ फाइल फोल्डर इत्यादि, मदद करते है कंप्यूटर चलाने में |
ग्राफिकल मोड में X विंडो पे कार्य किया जाता है|





Q 9. पासवर्ड बदलने की विधि समझाइए |

OR

चेंज पासवर्ड के लिए विधि लिखिए |
Ans. पासवर्ड को बदलने के लिए passwd कमांड का उपयोग किया जाता है|passwd कमांड को जैसे ही एंटर किया जाता है, वैसे ही करंट पासवर्ड को टाइप कर दिया जाता है इसके बाद नए पासवर्ड को एंटर करते हैं, नए पासवर्ड को इंटर करने के बाद नया  पासवर्ड वापस एंटर किया जाता है , जिसे पासवर्ड कन्फर्म करना कहते हे | यदि पासवर्ड पुनः टाइप करने में भी किसी प्रकार की गलती नहीं होती है तो पासवर्ड को सफलतापूर्वक बदला जा सकता है|

Q 10. लिनक्स और यूनिक्स में अंतर को समझाइए |


Ans.
लिनक्स
  1. लिनक्स एक ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट का उदाहरण और फ्री ऑपरेटिंग सिस्टम है|
  2. लिनक्स को फ्री डाउनलोड किया जा सकता है|
  3. इसमें यूजर से लेकर डेवलपर तक कोई भी हो सकता है|
  4. लिनक्स में दो ग्राफिकल यूज़र इंटरफेस KDE और GNOME होते हैं|
  5. इसमें बॉर्न अगेन शैल (BASH) डिफॉल्ट शैल होती है|
  6. लिनक्स Ext2, Ext3, Ext4, Jfs, Reiserfs, Xfs, Btrfs  आदि फाइल सिस्टम को सपोर्ट करता है|
यूनिक्स

  1. यूनिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम,  यूनिवर्सिटीज, कंपनी और बिग इंटरप्राइजेज आदि में बहुत प्रसिद्ध है|
  2. यूनिक्स को फ्री डाउनलोड नहीं किया जा सकता है|
  3. यूनिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम मुख्य रूप से मेनफ्रेम सर्वर और वर्कस्टेशन के यूजर के लिए देवलोप किया गया है|
  4. यूनिक्स में केवल एक ग्राफिकल यूज़र इंटरफेस क्रिएट किया जाता है जिसे कॉमन डेस्कटॉप एनवायरनमेंट कहते है|
  5. इसमें BASH डिफ़ॉल्ट शैल नही होती है|
  6. यूनिक्स jfs, gpfs, hfs, ufs, xfs, zfs आदि फाइल फॉर्मेट सिस्टम को सपोर्ट करते है|